पितृपक्ष का महत्व
अपने वंशजों से क्या चाहते हैं पितर :साथ मे पढ़ें पितृ गीत भावार्थ सहित!!!!!!!!! विष्णुपुराण में पितरों के द्वारा कहे गये वे श्लोक हैं जो ‘पितृ गीत’ के नाम से जाने जाते हैं । इस गीत से पता लगता है कि पितरगण अपने वंशजों (संतानों) से पिण्ड-जल और नमस्कार आदि पाने के लिए कितने लालायित रहते हैं । पितृ यानी मरे हुए जीव अपने वंशजों द्वारा दिए गए पिण्डदान से ही अपना शरीर बना हुआ अनुभव करते हैं । यह अनुभूति ही पितरों की अपने वंशजों से भावनात्मक लगाव की परिचायक है । कूर्मपुराण के अनुसार पितर अपने पूर्व गृह यह जानने के लिए आते हैं कि उनके परिवार के लोग उन्हें विस्मृत तो नहीं कर चुके हैं । इस पितृ गीत का सार यह है कि मनुष्य को अपनी शक्ति व सामर्थ्यानुसार पितरों के उद्देश्य से अन्न, फल, जल, फूल आदि कुछ-न-कुछ अवश्य अर्पण करना चाहिए । जिनको भगवान ने सम्पत्ति दी है, उनको तो दिल खोल कर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध व दान करना चाहिए । जिनकी आय सीमित है उनको भी परलोक में पितरों को सुख पहुंचाने के लिए स्वयं कष्ट सहकर श्राद्ध-तर्पण आदि करना चाहिए । जो लोग अपने मृत माता-पिता और प्रियजनों क...